अतीत नहीं होती नदी | Ateet Nahin Hoti Nadi
दामोदर खड़से अपनी कविता 'अतीत नहीं होती नदी' में न सिर्फ एक नदी के सौंदर्य को दर्शाते हैं, बल्कि मनुष्य के लिए उसकी प्रासंगिकता के कई पहलू भी हमारे सामने रखते हैं।
In his poem 'Ateet Nahin Hoti Nadi', Damodar Khadse reveals to us the various ways in which a river is not only beautiful but also ever present and every relevant for mankind.
कविता / Poem – अतीत नहीं होती नदी| Ateet Nahin Hoti Nadi
कवि / Poet – दामोदर खड़से | Damodar Khadse